Wednesday, April 18, 2018

​असीमानन्द जी निर्दोष बरी हो गए लेकिन उनको जेल क्यो भेजा गया वो भी जान लीजिये...​

🚩 भारत मे जभी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आते है उनको कैसे फसाया जाता है आप भी जान लीजिए ।
🚩मक्का मस्जिद धमाके में अदालत से निर्दोष बरी हुए स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी असीमानंद वह चेहरा हैं, जिनके बारे में संघ परिवार के लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते। खासतौर पर उन दिनों के बारे में जब असीमानंद आरएसएस से जुड़े संगठनों के करीब थे। हालांकि संघ से जुड़े कई ऐसे लोग हैं, जो असीमानंद को हिंदू राष्ट्र के प्रबल समर्थक और कभी समझौता न करने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं। 'गुजरात के आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के अभियान' को रोकने के लिए उन्होंने प्रयास किए थे। वे कहते हैं, यह बेहद कठिन काम था, जिसे असीमानंद ने 1990 के दशक में अपने हाथ में लिया था। वह आदिवासियों के बीच इस तरह घुल-मिल जाते थे कि उनकी ही बोली में बात करते थे, उनके बीच नाचते-गाते थे। हिंदू पर्वों का भव्य आयोजन आदिवासियों के बीच वह करवाते थे। 
Asimanand ji was acquitted, but
why he was sent to jail also know that ...

🚩हिंदू संगठनों से जुड़े रहे असीमानंद ने पश्चिम बंगाल, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम में काम किया। लेकिन गुजरात, झारखंड और अंडमान द्वीप के सुदूर इलाकों में असीमानंद ने प्रमुख रूप से काम किया और यहीं से उनकी पहचान बनी। हिंदू मान्यताओं में गहरी आस्था रखने वाले रामकृष्ण मिशन के विचारों से करीबी रखने वाले एक बंगाली परिवार में जन्मे असीमानंद ने शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम किया। आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'एक गुरु से संन्यास लेने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया था और फिर आदिवासियों के बीच काम करने लगे।' 
🚩शुरुआत से ही आदिवासियों के बीच काम करना चाहते थे असीमानंद जी।
🚩गुजरात में असीमानंद के साथ काम कर चुके आरएसएस के एक सीनियर लीडर ने बताया, 'वह शुरुआत से ही इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि उन्हें आदिवासियों के बीच काम करना है। उन्होंने पश्चिम बंगाल से काम की शुरुआत की, जिसके बाद आरएसएस ने उन्हें 1970 के दशक में अंडमान भेजा, जहां उस दौर में संघ खुद को स्थापित करने के लिए प्रयासरत था।' संघ नेता ने कहा, 'स्वामी असीमानंद को स्वामी विवेकानंद और हिंदुओं के प्रति उनके योगदान को लेकर उनके मन में गहरी श्रद्धा थी।' 
🚩स्वामी असीमानंद जी कहते थे, हिंदुओं का धर्म छोड़ना खतरनाक है।
🚩उन्होंने कहा, 'वह साफ कहते थे- अधिक हिंदुओं को अपने साथ जोड़ो, लेकिन यह ध्यान रहे कि कोई भी हिंदू छोड़कर न जाए। वह कहते थे यदि एक भी हिंदू की आस्था डिगती है तो वह धर्म के लिए बड़ा खतरा है।' स्वामी असीमानंद को 1990 के दशक के आखिरी में गुजरात के आदिवासी बहुल डांग जिले में भेजा गया था। यहा उन्होंने खासतौर पर ईसाई मिशनरियों की ओर से धर्मांतरण पर नजर रखी और उसे रोकने का प्रयास किया। यही नहीं जहां भी उन्हें संभावना दिखी, वहां उन्होंने ईसाई बने हिंदुओं को वापस हिंदुत्व से जोड़ने का प्रयास किया । स्त्रोत : नव भारत टाइम
🚩अब आपने देखा कि जो भी भारत मे ईसाई मिशनरियों के द्वारा हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगाते थे उनको षडयंत्र करके जेल भेजवाया जाता था यही हाल हिन्दू संत आसाराम बापू का है उन्होंने जो ईसाई धर्म मे चले गए थे उन लाखों हिन्दुओं की घरवासपी करवाई अपने धर्म वापिस लाये और गांव-गांव नगर-नगर जाकर लोगो को हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई और आदिवासी इलाकों में जीवनुपयोगी वस्तुओं दी एवं मकान बनाकर दिए जिससे आदिवासी हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई न बने जिसके कारण ईसाई मिशनरियों के आँखों मे खटक रहे थे, फिर वेटिकन सिटी के इशारे पर सोनिया गांधी ने बापू आसारामजी की मीडिया में खूब बदनामी करवाई और झूठे केस बनाकर जेल भिवजाय ।
🚩बापू आसारामजी 5 सालो से बिना सबूत जेल में बंद है 25 को निर्णय आने वाला है अब उनके केस जिस तरह से न्यायालय में बहस हुई है उस अनुसार तो केस बनता ही नही है एक षडयंत्र ही नजर आ रहा है, क्यो की मेडिकल में कोई प्रूफ नही है, आरोप लगाने वाली लड़की के नाम और बर्थ सर्टिफिकेट अलग-अलग है, जो एफआईआर लिखी थी वो फाड़ दी उसका वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दिया गया, जिस समय लडक़ी बोल रही थी मेंरे को कमरे में बुलाया उस समय तो कॉल रिकॉडिंग के अनुसार वे अपने मित्र से बात कर रही थी, ओर बापू आशारामजी उस समय एक कार्यक्रम में बैठे थे सैकंडों लोग उस बात के गवाह भी है, यहाँ तक भी पता चला है कि 50 करोड़ नही देने पर यह सारा षडयंत्र रचा गया । अब उनके भक्तों का कहना है कि हमारे गुरुदेव निर्दोष छूटकर आयेंगे न्यायालय से और सरकार से भी उनकी यही अपेक्षा है कि अब बापू आसारामजी ने बहुत सहन किया अब रिहा कर दिया जाये ।
🚩देशवासी अच्छी तरह जानते है कि जब भी कोई सनातन हिन्दू संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने के लिए कोई हिंदुनिष्ठ अपने हाथ मे बीड़ा उठाता है और आगे बढ़ता दिखता है तो विदेशी ताकतों के इशारे पर विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया द्वारा उनको बदनाम करवाया जाता है और जेल भिजवाया जाता है या हत्या करवा दी जाती है ।
🚩अनेक ऐसे उदाहरण है जो सनातन धर्म की रक्षा की है उन हिंदुनिष्ठ लोगो को प्रताडना सहन करनी पड़ी है अभी ताजा मामला स्वामी असीमानन्द जी का है जो 11 साल के बाद निर्दोष बरी हुए उनके खिलाफ एक भी सबूत नही था फिर भी सालो तक जेल में रहना पड़ा ।
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