Sunday, May 21, 2017

जहर परोसने वाली पेप्सी और कोका कोला का जनता कर रही है त्याग, अपना रहे है देशी पेय पदार्थ

जहर परोसने वाली पेप्सी और कोका कोला का जनता कर रही है त्याग, अपना रहे है देशी पेय पदार्थ

20 मई 2017

पेप्सी 1989 में भारत आई थी । कोका-कोला को जॉर्ज फर्नींडीज ने एक बार भगा दिया था, दोबारा वो 1993 में इंडिया फिर से आई ।
coca cola pepsi

इन दोनों अमेरिकी कंपनियों ने बाकी कंपनियों को रास्ते से हटाने के लिए धमकाने से लेकर कंपनी खरीदने तक की हर टैक्टिक का इस्तेमाल किया और सफल रहे । बाद में आपस में जूझ गए । सॉफ्ट ड्रिंक का ये मार्केट इंडिया में 60 हजार करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया ।

कोका कोला और पेप्सी दोनों कंपनियां भारत सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में राज करती हैं लेकिन अब उनका मार्केट खतरे में है, क्योंकि जनता लो-शुगर और लो-कैलोरी सॉफ्ट ड्रिंक्स की तरफ शिफ्ट हो रही है ।


दोनों कंपनियां एक तरफ हैं । दूसरी तरफ डाबर, पार्ले, हेक्टर बीवरेज, आईटीसी और मनपसंद बीवरेज जैसी कंपनियां हैं । इन कंपनियों ने नये तरीके के ड्रिंक निकाले हैं और स्मार्ट मार्केटिंग की है ।

ये मार्केट दूध बेस्ट ड्रिंक्स और पैकड पानी का है। हेल्थ को लेकर नई कॉन्शसनेस बनी है । जनता इधर शिफ्ट हो रही है। पेप्सी और कोला इसे नहीं देख पाई है।

वड़ोदरा की कंपनी बीवरेज और कई भारत की कंपनियों ने 5 प्रतिशत फ्रूट जूस मिलना शुरू कर दिया है ।

मार्केट इन कंपनियों के बारे में क्या कह रहा है?

1. यूरोमॉनीटर के मुताबिक 2014 और 2016 के बीच कोका कोला का इंडियन मार्केट 35.5 प्रतिशत से घटकर 33.5 प्रतिशत हो गया है । पेप्सी का मार्केट 23.2 प्रतिशत से घटकर 22.2 प्रतिशत हो गया है । 


2. सॉफ्ट ड्रिंक के मार्केट में बॉटल्ड वाटर पिछले 5 सालों में बढ़कर 24 प्रतिशत हिस्सा पकड़ चुका है । 24 प्रतिशत के साथ पार्ले बिस्लेरी इस मामले में सबसे आगे है । कोका कोला का किनले 17 प्रतिशत था, पर अब घट गया है।

3. कॉर्बोनेटेड ड्रिंक्स के मार्केट में कोका कोला और पेप्सी का 96 प्रतिशत शेयर है। पिछले दो-तीन सालों में ये मार्केट 16 हजार करोड़ रुपये बढ़ा और ये दोनों कंपनियां इसका ज्यादा फायदा उठा पाने में कामयाब नहीं रहीं । ये फायदा नई कंपनियों को ही गया ।

4. कोका कोला ने तीन नये नॉन-कॉर्बनेटेड यानी प्लेन ड्रिंक लॉन्च किये । एक्वेरियस, दूध आधारित वायो और नारियल पानी बेस्ड जिको।  पेप्सी ने प्रॉमिस किया कि अपने ड्रिंक्स में वो कैलोरी का लेवल कम करेंगे। पर ये टैक्टिक काम नहीं कर रही है।

5. लगातार ये चीजें भी सामने आती गई हैं कि ये दोनों ड्रिंक्स हेल्थ के लिए हानिकारक हैं। पेप्सी पर तो बाकायदा कीटनाशक होने का आरोप लगा था।

ये दोनों कंपनियां पीछे जा रही हैं, भारत की कंपनियां आगे आ रही हैं

1. वॉट्सऐप पर लगातार इनसे जुड़ी खबरें चलती हैं कि इनके गिलास में इतनी चीनी होती है कि खीर बन जाए। पर इन दोनों कंपनियों ने इस चीज को ज्यादा सीरियसली नहीं लिया। अब इनकी सच्चाई पता चलने पर लोग पीना छोड़ रहे है । सरकार द्वारा इनको पाप यानी कि अनहेल्दी चीजों में रखा जा रहा है।

2. पेप्सी के फ्रूट प्रोडक्ट ट्रॉपिकाना भी जूस के मार्केट में 33.5 प्रतिशत हिस्सेदारी से नीचे गिरकर 28.7 प्रतिशत तक आ गया । डाबर इसमें 56.3 प्रतिशत मार्केट की हिस्सेदारी रखता है ।

3. देसी ब्रांड्स के साथ फायदा ये है कि लोग इनसे जुड़ें जा रहे हैं। अभी नेशनलिज्म का दौर है तो पहले वाली बात नहीं रही कि अमेरिका का है तो अच्छा है। पार्ले एग्रो तो अपने एप्पी फिज्ज के साथ बहुत आगे निकल गया है। अभी हाल में ही फ्रूटी फिज्ज भी लॉन्च किया है। ये मैंगो ड्रिंक है। जिसमें 11 प्रतिशत फल की मात्रा है। जबकि फैंटा या मिरिंडा बस फ्रूट फ्लेवर वाले ड्रिंक्स हैं।

4. यहां तक कि 100 साल पुराने ब्रांड रूह अफजा वाले हमदर्द ने भी रेडी टू ड्रिंक मार्केट में 20 प्रतिशत फल की मात्रा वाला जूस लॉन्च कर दिया है, रूह अफजा फ्यूजन। डाबर तो फ्रूट जूस के अलावा वेजीटेबल जूस भी बना रहा है।इनका नया मैंगो जूस Ju C भी लॉन्च हुआ है।


5 हेक्टर बीवरेज जैसी देसी कंपनियां तो ठंडई और आम का पना भी बना रही हैं। ये अपने पेपर बोट ब्रांड से लोगों तक पहुंच रही हैं। हेक्टर बीवरेज बनाने वाले लोग पहले कोका कोला कंपनी में ही काम करते थे। नये जमाने में इंडियन होना नया कॉन्फिडेंस दे रहा है तो देसी नॉस्टैल्जिया मार्केटिंग में काम आ रहा है।

6 कोका-पेप्सी दोनों कंपनियों को मार्केट के अलावा भी दिक्कतें हैं। पानी की समस्या देश में कई जगह पर है। जहां पर इन कंपनियों के प्लांट लगते हैं, विरोध होना शुरू हो जाता है। मार्च 2017 में देश के सबसे इंडस्ट्रियलाइज्ड राज्य तमिलनाडु की दो बड़ी ट्रेड एशोसिएशन्स ने कोका-कोला और पेप्सी को राज्य में बैन कर दिया। कहा कि ये कंपनियां जो पानी खा जाती हैं, वो किसानों को मिलेगा।


"पेप्सी और कॉक" में उपयोग होने वाले रासायनिक तत्व सोडियम मोनो ग्लूटामेट, पोटेशियम सोरबेट, ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑइल (BVO), और सोडियम बेन्जोईट ये चारो  कैंसर करते है।

मिथाइल बेन्जीन - ये #किडनी को खराब करता है।

इसमें सबसे खराब जहर है - एंडोसल्फान - ये #कीड़े मारने के लिए खेतों में डाला जाता है।

और ऊपर से होता है - #कार्बन डाईऑक्साइड - जो कि बहुत जहरीली गैस है इसीलिए इन #कोल्ड ड्रिंक्स को "#कार्बोनेटेड वाटर" कहा जाता है 

सरकार के एक अध्ययन के अनुसार #स्वास्थ्य राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलास्ते ने राज्यसभा में बताया है कि कुछ सॉफ्ट ड्रिंक्स और फार्मा प्रोडक्ट वाली पीईटी बोतलों (#स्प्राइट, #माउंटेन #ड्यू, #सेवन अप, #पेप्सी और #कोकाकोला) के सैंपल में भारी धातु मिले हैं जो #स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

अमेरिका हावर्ड #यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक सॉफ्ट ड्रिंक की लत से हर साल 1.33 लाख जानें जाती हैं, हृदयरोग से लगभग 45,000 और कैंसर से 6,500 लोग मौत का शिकार बनते हैं। यानी कुल 1.84 लाख मौतों के लिए सॉफ्ट ड्रिंक जिम्मेदार है।

यह ड्रिंक्स हड्डियों, मांसपेशियों, दांतों, आंखों और किडनी की सेहत के लिए भारी हानिकारक है।

कई विदेशी कंपनियाँ कुछ #नेताओं की #मिलीभगत से #हिन्दुस्तान में बोतलबंद #जहर खुल्लेआम बेच रही है, इस जहर को हिन्दुस्तान की सांसदों की केंटीन में प्रतिबंधित कर दिया गया है,  अगर कोल्ड्रिंक जहरीला है ये हमारे सांसद जानते हैं तो इसे पूरे भारत में प्रतिबंधित क्यों नहीं करते?? 

🚩नेताओं का स्वास्थ्य बेहतर रहना चाहिए तो जनता का क्यो नहीं?? 

🚩हमारे देश मे बहुत सी विदेशी कम्पनियाँ हानिकारक पेय व खाद्य सामग्री बेच रही है और #सरकार टेक्स के चक्कर में आंखे बन्द करके बैठी है ।


🚩नींबू स्वास्थ्य में उत्तम लाभदायी !!

🚩#नींबू का रस स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी  है। #रक्त की अम्लता को दूर करने का विशिष्ट गुण रखता है। त्रिदोष, वायु-सम्बन्धी रोगों, मंदाग्नि, कब्ज और हैजे में नींबू विशेष उपयोगी है। #नींबू में कृमि-कीटाणुनाशक और सड़न दूर करने का विशेष गुण है। यह रक्त व त्वचा के विकारों में भी लाभदायक है। #नींबू की खटाई में #ठंडक उत्पन्न करने का विशिष्ट गुण है जो हमें गर्मी से बचाता है। 


मुँह सूखना, पित्तप्रकोप, उदररोग, अपच, अरुचि, पेटदर्द, मंदाग्नि,  मोटापा, कब्ज, दाँतों से खून निकलना, बालों की रूसी, सिर की फोड़े-फुंसी आदि #नीबू के प्रयोग से मिट जाते हैं ।


क्यों ऐसी #विदेशी कंपनियों के #ज़हरीले पेय-पदार्थों का सेवन करना जो हमारा पैसा लेने के साथ-साथ हमारे शरीर को भी बिमारियों का घर बनाना चाहते है।


इसे तो प्राकृतिक वस्तुओं जैसे #नीबूंपानी #गुलाब शर्बत, नारियल पानी आदि का सेवन कर #गरीबों की रोजी #रोटी में मदद रूप हो और #देश की समृद्धि में सहायक होने के साथ-साथ अपना स्वास्थ्य भी बढ़िया रखे।

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